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कौन है?-

निर्मोही ने आशा भरी नजरों से आरव की ओर देखा फिर वो एकदम से बोल उठी, "कैसा नुस्खा?" "कल निरूपण की बर्थडे पार्टी है तो दोस्त के नाते वह मुझे जरूर बुलाएगा। " फिर?" "फिर क्या, मौके का फायदा उठा कर दोनो को एक साथ चलना है। और एक बात, तुम्हें होशियारी से एक काम करना है यार, और वह यह कि निरूपण पे चाँस मारना है। अगर तुम्हारे सपने का कोई वजूद है? कोई भविष्य है? तो हम दोनों साथ हैं। अगला स्टेप क्या होगा वह बाद में तय करेंगे।" "थैंक्स आरव, मुझे एक चाँस देने के लिए। मुझ पर एतबार करने के लिए।"


उसके बाद जो हुआ वह कल्पना से परे था। सपना सच होने जा रहा था। सचमुच निरूपण निर्मोही के कातिलाना जिस्म को देखकर पिघल गया। निर्मोही की ओर आकर्षित हुआ। फिर निर्मोही से मिलने वह बावला हो गया। उसकी आँखों का जादू ऐसा चला की निरुपण ने उस रात समंदर के किनारे बनी होटल 'मिलन' पर पहली मुलाकात मुक्करर कर ली।" निर्मोही ने अपने मोबाइल फोन से निरूपण को किए गए सारे मैसेज बता कर विजय सूचक स्माइल की। तब आरव बोल उठा,  "मामला गंभीर है, वाकई तुम्हें डेट पर जाना चाहिए।" निर्मोही ने आँखें तरेरी। आरव की प्लानिंग बिल्कुल परफेक्ट थी। जिस तरीके से उसने शतरंज बिछाई थी काबिले तारीफ थी। निर्मोही को कब, कितने सेंटेंस बोलने है? क्या बोलना है। निरुपण  की बातो का क्या जवाब देना है। सारी बातें आरव ने उसे समझा दी थी। सब कुछ आरव के भेजे ने तय किया था।  निरूपण निर्मोही की बातें सुनकर और भी उसके करीब आ गया। अक्सर जो होता है वह आकस्मिक होता है। तभी तो इंसान अपने बचाव के लिए असमर्थ साबित हो जाता है, जबकि निर्मोही को अपने वजूद को मिटने से बचाने के लिए एक चाँस जरूर मिल गया था। कमरे में अँधेरा पूरी तरह छा गया था। बाथरूम की और आगे बढ़ते हुए उसके कदम लड़खड़ाने लगे। आरव का मैसेज आया। "ओके आई एम रेडी।" निर्मोही का जेहन बुरी तरह काँप रहा था। दिमाग में खलबली मची हुई थी। डर उसी बात का था कि कहीं उनका दाव उल्टा पड़ गया तो वह खुद को कैसे निरूपण के पंजे से बचा पाएगी? अचानक लाइट चली जाएगी। यह भी तो उनके प्लान में नहीं था। आरव कोई चूक कर गया तो उसकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। आरव ने वैसे मेरे लिए सच ही कहा था कि तुम मूर्ख नहीं बल्कि महामूर्ख हो। एक खौफनाक सपने की हकीकत को परखने के लिए जिंदगी की बाजी नहीं लगाई जाती। कुछ भी हो सकता था। सामने वाले इंसान के दिमाग को इतनी आसानी से पकड़ पाना काफी मुश्किल था।मोबाइल टॉर्च की रोशनी से निर्मोही ने बाथरूम में झांकने की कोशिश की। ठीक तभी वह चौक गई। उसकी पतली कमर पर जैसे कोई नुकीली चीज चुभती हुई ऊपर चली गई। निर्मोही के बदन में खौफ की लहर दौड़ गई। साँसे बिल्कुल रुक गई थी। जैसे वह तलवार की नोक पर थी। ऐसा लगता था  जरा भी हिलना-डुलना हुआ तो उसका शरीर कट जाएगा। अपनी गर्दन को टट्टार रखकर उसने पलट कर पीछे देखने की कोशिश की। निर्मोही को अपने पीछे किसी के होने का आभास हुआ। "कौन है?" उसने घबराकर पूछा। "हेलो! निरूपण, क्या पीछे तुम हो?" चारों तरफ फैला सन्नाटा जैसे उसकी मजाक उड़ा रहा था। जब किसी ने दोबारा छुआ तो निर्मोही के मुंह से चीख निकल गई। वह जोर से चिल्लाती उससे पहले किसी का ढक्कन जैसा हाथ उसके मुंह पर चिपक गया। कोशिश के बावजूद फिर उसके मुंह से 'चूं या चा' तक नहीं निकली। उसके नाक में तेज बदबू घुस गई। उसके हाथों से मोबाइल गिर गया। मोबाइल की फ्लैश लाइट अभी भी चालू थी। तभी तो ढक्कन की तरह मुंह पर चिपके बदसूरत हाथ को वह देख पाई। फिर जो हुलिया उसके सामने आया वह बहुत ही भयानक था। घनी झुल्फो ने उसका चेहरा ढक रखा था। बालों कि बिखरी लटों के बिच से एक बदसूरत चेहरा उसे घूर रहा था। उसकी आँखों में आग थी। उसका चेहरा जैसे आग से पूरी तरह झुलस चुका था। जलने के कारण उसकी चमड़ी पर फफोले बन गए थे। काली पड चुकी हाथो की उंगलियों के नाखून चाकू की धार जैसे नुकीले थे। उसके नाखून देखकर निर्मोही बुरी तरह सेहम गई थी। निर्मोही की आँखें फटी की फटी रह गई। वह कोई साधारण स्त्री नहीं थी। तिरछी आँखों से निर्मोही उसे ही देख रही थी। क्योंकि अब उसका दिल जोर से धड़कने लगा। निर्मोही के मुंह को दबा कर उसने अपने नुकीले नाखून की धार उसकी गर्दन पर फेरी। निर्मोही ने अपनी आँखें बंद कर ली। वह बुरी तरह फंस चुकी थी। उसका दिल दर्द से सिहर उठा। क्योंकि अब जो होने वाला था उसकी कल्पना मात्र से उसका दिल दहल उठा था। कुछ देर छटपटा ने के बाद उसका शरीर ठंडा हो जाने वाला था।  निर्मोही की आँखों में सारे दृश्य उमडते चले गए। उसे बराबर याद था।  लहू के फव्वारे में वह डायन अपने बदन को भीगोने वाली थी। और उस रक्त को अपने पूरे बदन पर मालिश की तरह मलने वाली थी। इतने भयानक मंजर की सोच उसे मरने से पहले ही मारने वाले थे। निर्मोही बुरी तरह कांप रही थी। उसने पूरी ताकत लगा कर उस डरावनी स्त्री का हाथ हटा दिया और जोर से चीखी। लेकिन कोई उसकी आवाज सुनने वाला नही था। अपने मुख पर हाथ रख कर वह कोने में बैठ गई। शायद इसी पल का उस शैतानी आत्मा को इंतजार था। उसने अपना बदसूरत चेहरा उपर उठाया। उसके भद्दे होठ फटने लगे। मुख चौडा होता गया। इतना खौफनाक नजारा निर्मोही ने आज से पहले कभी देखा नही था। उसके कान लम्बे होकर उपर उठते गए। वह एक वहशी डायन में बदल चुकी थी। उसका मुंह फटता गया। और मगर के फटे हुए चौडे मुख जैसा हो गया। निर्मोही एक कोने में बैठी सिसकने लगी थी। आरव ने आने में काफी देर कर दी थी, जबकि उसने देखा हुआ सपना हकिकत बनकर उसका वजूद मिटाने को तैयार था। निरुपण अंधेरा होने के बाद कहाँ चला गया उसे कुछ भी पता नही था।

"कही ऐसा तो नहीं था कि मुझे यहाँ लेकर आनेवाला इन्सान निरुपण था ही नही?" इसी सवाल ने निर्मोही के दिमाग की बत्ती गुल कर दी थी। डायन ने अपने चौडे मुख से उसकी गरदन पकडी तो  निर्मोही की आँखों में अंधेरा छा गया।

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2 Comments

madhura

27-Sep-2023 10:16 AM

Amazing

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Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:49 AM

👏👌

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